Tuesday, April 12, 2011

राम नवमी

सीता माता का हरण करने के पश्चात एक बार रावण अपने भाई विभीषण के घर जाता है. विभीषण के घर का दृश्य देखकर रावण अति क्रोधित होता है. क्यों की विभीषण के घर में हर जगह राम राम लिखा हुआ था.
विभीषण भी समज जाते है के रावण क्यों क्रोधित हुआ है. मन ही मन में प्रभु श्री राम का स्मरण करते हैं,
रावण विभीषण पर चिल्लाते हुए अपने दुश्मन राम का नाम घरमे हर जगह लिखने का कारण पूछा,
कुछ जवाब न सूजने पर विभीषण चुप रहे. विभीषण जवाब नहीं दे रहे इस लिए रावण अधिक क्रोधित होता है.
पर अचानक से जैसे प्रभु श्री राम ने कृपा की हो वैसे विभीषण जी बोले की यह आप के दुश्मन श्री राम का नाम नहीं है, यह तो मैंने आप का नाम लिखा है,
आप तो जानते ही है, के मैं आप से और माता स्वरुप भाभी से कितना प्यार करता हूँ. इसीलिए मैंने मेंरे घर में हर जगह आप का नाम लिखा है.
यह सुनकर रावण और अधिक क्रोधित होता है.
एक तो मेरे दुश्मन का नाम लिखता है और ऊपर से यह मेरा नाम लिखा है ऐसा बताता हैं.
क्रोधावश रावण विभीषण से क्षमा मांगने कहेता है, अन्यथा मृत्यु दंड देने की घोषणा करता है. विभीषण अभी भी शांत मुद्रा में यही बात दोहराते है की भैया रावण आप क्रोधित न हो, मैं सच कहे रहा हूँ, यह आप ही का नाम लिखा हैं. अब तो रावण का क्रोध अधिक प्रज्वलित होने लगा, और विभीषण से पूछा बताओ मेरा नाम कहा लिखा है?
विभीषण ने राम नाम की तरफ अंगुली निर्देश करते हुए कहा, यही तो आप का नाम हैं. अब तो रावण का क्रोध नियंत्रण से बाहर हुआ.
विभीषण ने तभी कहा, महाराज रावण आप क्रोधित न हो, यह राम का नाम नहीं हैं, आपही का नाम हैं,
रा से रावण और म से माँ समान मेरी भाभी मंदोदरी, ऐसे यह संक्षिप्त में मैंने लिखा हैं. 
आप सभी को राम नवमी की ढेर साडी शुभ कामनाएं.
प्रभु श्री राम के चरणों में यही प्रार्थना करें की भारत में अति शीघ्र राम राज्य प्रस्थापित हो, और इस राम राज्य हेतु हम सभी का योगदान हो.